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दियानाथ ने कहा, भाई, तुम जानो तुम्हारा काम जाने। मुझिमें समाई नहीं है। जो आदिमी अपने पेट की िफक नहीं कर सकता, उसका िववाह करना मुझिे तो अधमर्च-सा मालूम होता है। िफर रूपये की भी तो िफक है। एक हजार तो टीमटाम के िलए चािहए, जोड़े और गहनों के िलए अलग। (कानों पर हाथ रखकर) ना बाबा! यह बोझि मेरे मान का नहीं। https://www.hindustanbooks.com...

प्रेमचन्द - गबन

गबन

प्रेमचन्द

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Euro Media

Idioma
hindi
Formato
pdf
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Descripción

दियानाथ ने कहा, भाई, तुम जानो तुम्हारा काम जाने। मुझिमें समाई नहीं है। जो आदिमी अपने पेट की िफक
नहीं कर सकता, उसका िववाह करना मुझिे तो अधमर्च-सा मालूम होता है। िफर रूपये की भी तो िफक है। एक
हजार तो टीमटाम के िलए चािहए, जोड़े और गहनों के िलए अलग। (कानों पर हाथ रखकर) ना बाबा! यह बोझि
मेरे मान का नहीं।
https://www.hindustanbooks.com

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